ग्रामीण विकास नागरिक विचार मंच उत्तराखंड के तत्वधान में पंडित दीनदयाल नवानी जी की 11 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गौरी पुस्तकालय देवी मंदिर के सभागार में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री विनोद सामंत बहुगुणा जी उपस्थित रहे । कार्यक्रम का आयोजन पंडित स्व०दीनदयाल नवानी जी के सुपुत्र श्री प्रवेश चंद्र नवानी जी ने अपने स्वर्गीय पिता जी की पुण्य स्मृति में किया ।
कार्यक्रम मे सर्वप्रथम मंगलाचरण कर पुण्य आत्मा को पुष्पांजलि अर्पित की गई । उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की गई । उनकी जीवन यात्रा जो 1920 में प्रारंभ हुई । उनका प्रथम कार्यक्षेत्र क्वेटा (जो अब पाकिस्तान में स्थित है ) वहां से शुरू हुई वहां से उन्होंने डाक एवं तार विभाग में कार्य किया । तथा वहां रहते हुए उन्होंने गढ़वाल सभा की स्थापना 1940 में की । देश विभाजन के पश्चात वे सहारनपुर में आकर अपनी सेवाएं देने लगे । उनका व्यक्तित्व इस बात से झलकता है कि 1953 में गढ़वाल सभा कोटा के खाते में जन सहयोग से ₹8000 की धनराशि जमा थी । बंटवारे के समय सारी सभा बिखर गई ।कुछ लोग का पता चला और कुछ लापता हो गए । परंतु पंडित जी ने सभा के अवशेष ₹8000 का भुगतान चेक द्वारा गढवाल हितैषणी सभा नई दिल्ली को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री भक्त दर्शन जी व टिहरी सांसद मानवेंद्र शाह जी व वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी के सम्मुख हितैषणी सभा के अध्यक्ष महेशानन्द कंडवाल जी को सौंपा ।इसके बाद कई वर्षों तक गढ़वाल सभा के सदस्य रहे।पंडित जी गांधी जी के ग्राम स्वराज के विचारों से प्रभावित थे ।ग्राम स्वराज से प्रवाहित होकर अपने गांव वापस आए ।और क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर क्षेत्र के लिए सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने जीवन के अंतिम समय तक सेवाएं देते रहे। और अंत में 91 साल की उम्र में २०११ मे ब्रह्मलीन हो गए |
कार्यक्रम के दूसरे चरण में कवियों द्वारा हिंदी व गढ़वाली में कविताएं पढ़ी गई । कविता पाठ श्राद्ध पक्ष में होने के कारण पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पर केंद्रित रहा । मां की सीख व त्याग पर गढ़वाली में कविता श्री जनार्दन प्रसाद ध्यानी सावंत जी व महेंद्र जदली ,ने पढी । अंशु डंगवाल जी की गढ़वाली कविता सासु ब्वारी की तुडम तुडा ने सभा को खूब गुदगुदाया |शिव प्रकाश कुकरेती जी ने जीवन के संबंधों पर तपते मौसम में घड़ी भर ठहरने के लिए गजल सुनाई । लल्लन बुडाकोरी जी ने चलो बाहर चल कर बात करते हैं गजल श्रोताओं को खूब पसंद आई ।डॉक्टर चंद्रप्रकाश नैथानी जी ने पलायन की पीड़ा पर गढ़वाली कविता , आरबी कंडवाल जी ने विलुप्त होती पहाडी परंपराओं को कविता के माध्यम से याद किया ।
कार्यक्रम में कोटद्वार क्षेत्र के वयोवृद्ध मनीषी श्री सत्य प्रकाश थपलियाल जी ,जनार्दन प्रसाद ध्यानी जी, अंशु डंगवाल जी , शिव प्रकाश कुकरेती , आर बी कंडवाल , चंद्रप्रकाश नैथानी जी , राकेश लखेडा जी, विजय लखेडा जी, प्रभाकर ध्यानी जी, जे पी भारद्वाज जी , उपस्थित रहे । प्रति भागियों में महेंद्र जदली युवा प्रतिभागी के रूप रहे । कार्यक्रम का संचालन श्री राकेश मोहन सुन्द्रियाल जी द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम के अंत में सभी लोगों ने पुण्यतिथि को इस अनोखे तरीके से याद करने के लिए श्री प्रकाश नवानी जी को साधुवाद दिया ।




